इमाम महदी, इसा अलेहिससलाम, दज्जाल की निशानीया


   : इमाम महदी  : नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस की रोशनी मे इमाम महदी के जहूर की पहचान बतायी गयी है।

इमाम महदी, इसा अलेहिससलाम, दज्जाल की निशानीया

: इमाम महदी

: नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस की रोशनी मे इमाम महदी के जहूर की पहचान बतायी गयी है।

1) हजरत फातिमा रजि अल्लाहु अनहा की औलाद से होगे।
2) मदीना तैयबा के अंदर पैदा होगे।
3) वालिद का नाम अब्दुल्लाह होगा ।
4) इनका अपना नाम मुहम्मद होगा और लकब महदी।
5) चालीस साल की उम्र मे इनको मक्का मुकररमा हरम काबा मे शाम के वलीयो की जमात पहचानेंगी।
6) वो कई लडाईयो मे मुसलमान फोजियो की कयादत करेगे।
7) शाम जामा दमिश्क मे पहुंचगे, तो वहा सयदना इसा अलेहिससलाम का नजूल होगा।
8) हजरत इसा अलेहिससलाम नजूल के बाद पहली नमाज हजरत इमाम महदी के पीछे अदा करेगे।
9) हजरत महदी चालीस साल बाद खलीफा बनेगे, सात हाल खलीफा रहेगे, दो साल इसा अलेहिससलाम की नियायत मे रहेगे,
10) ’’ثم یموت ویصلی علیہ المسلمون‘‘ (مشکوٰۃ:۴۱۷)
फिर इनकी वफात होगी और मुसलमान इनकी नमाज जनाजा अदा करेगे,
10) तदफीन के मकाम के मुतालिक हदीस मे सराहत नही, अलबता बाज हजरात ने बैतूल मुकद्दस मे तदफीन लिखी है।
इस बारे मे शैखुल इसलाम हजरत मोलाना सयद हुसैन अहमद मदनी रहीमुललाह का रिसाला الخلیفئ المهدی فی الاحادیث الصحیح और मुहददिहस कबीर मोलाना बदर आलम मेराठी रहीमुललाह का रिसाला الامام المهدی (ترجمان السنہ ج 6مشمول احتساب قادیانیت جلد چہارم ) मे मौजूद है।

हजरत सय्यदना इसा अलेहिससलाम का नजूल और इसकी निशानीया 

हजरत ईसा अलेहिससलाम अल्लाह रब्बुल इज्जत के वो जलीलुल कद्र पेगमबर वा रसूल है, जिनको अल्लाह तआला ने बिना वालिद के पैदा फरमाया है।
2)यहुदी इनके कत्ल के दरपे हुए, अल्लाह तआला ने यहुदिओ के जालिम हाथो से आपको बचाकर आसमानो पर जिन्दा उठा लिया।
3)कयामत के करीब दो फरिश्तो के परो पर हाथ रखे हुए नाजिल होगे।
4)दो पीले रंग की चादरे पहनी रखे होगे।
5)दमिश्क की मस्जिद के मशरिकी सफेद मिनार पर नाजिल होगे।
6)पहली नमाज के अलावा तमाम नमाजो मे इमामत कराएंगे।
7)हाकिम आदिल होगे, पुरी दुनिया मे इसलाम फैलाएगे।
8)दजजाल को मकामे लद पर (जो इस वक्त इजराइलकी फिजाए का एयरबेस है) कत्ल करेगे।
9)नजूल के बाद 40 साल कयाम करेगे।
10)मदीना तैयबा मे फोत होगे, रहमतुल आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, हजरत अबु बक्र सिद्दिक रजि अललाहु अनहु , हजरत उमर फारूक रजि अल्लाहु अनहु के साथ रोजा ए अतहर मे दफन किए जाएगे, जहा आज भी चोथी कब्र की जगह है।
فیکون قبرہ رابعاً‘‘
‘‘ (درمنشور بحوالہ تاریخ البخاری)

दज्जाल का खुरूज

1) दज्जाल इसलामी तालीमात और हदीस की रोशनी मे एक शख्स का नाम है, जिसका फितना से तमाम नबीयो ने अपनी उम्मत को डराया है।गोया दज्जाल एक ऐसा फितना है जिसकी खुदा दुश्मनी पर तमाम अम्बिया का इजमा है।
2) वो इराक व शाम के दरमियानी रास्ते से खुरूज करेगा।
3) तमाम दुनिया को फितना फसाद मे मुब्तिला करेगा
4) खुदाई का दावा करेगा
5) एक आंख से काना होगा
6) मक्का मदीना जाने का इरादा करेगा, लेकिन हरमेन की हिफाजत करने वाले फरिश्ते उसका मुंह मोड देगे वो मक्का मदीना मे दाखिल नही होगा
7) उसकी पैरवी करने वाले ज्यादातर यहुदी होगे
8) सत्तर हजार यहुदी की जमात उसकी फौज मे शामिल होगी
9) मकाम लद (इसराइल मे है) इसा अलेहिस्सलाम के हाथो कत्ल होगा
10) हजरत इसा अलेहिस्सलाम के हरबा (हथियार) से कत्ल होगा।

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